गुरू के प्रति पूर्ण आस्था रखते हुए मुझे अपनी मंजिल की तरफ बढते रहना है । बाधाएं अवरोध विरोध तो जीवन में आते ही रहते हैं । मुझे दृढ़ संकल्प के साथ सद् उदेश्य के लिए बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की तरफ बढते रहना है । नये गांव में नये लोगों से मुलाकात होती है । नये रास्तों पर चलने का सुखद अहसास होता है । हर पल यही सोच विचार अंतरात्मा से उठता रहता है । मै अपने जीवन में अपने कर्म से कम से कम एक मां बहन बेटी पिता तुल्य बुजर्ग भाई या किसी बच्चे का भला कर सकूं तो इस जगत में मेरा आने का प्रयोजन सफल हो जाए । पूरा जीवन कुछ सीख मिलती रहे कुछ अभ्यास करता रहूं अपने ऊपर पूर्ण विश्वास गुरू के प्रति आस्था भगवान की न्याय व्यवस्था के अनुरूप कार्य करता रहूं । बस भगवान से यही प्रार्थना है जन जन में योग आयुर्वेद व स्वदेशी का विचार जाग्रत करता रहूं ॐ
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