लगभग हर घर परिवार व्याधियों से त्रस्त है । फिर चाहे धनवान हो या गरीब सब के सब सुख की तलाश में जुटे हैं । गरीब के पास जो कुछ थोड़ा बहोत मेहनत की कमाई का पैसा है उससे और फिर मिलगत के आधार पर कर्ज लेकर भी जीवन को बचाने की कोशीस करता है । अमीर के पास धन है वो जगह जगह लूटाकर किसी तरह जीवन बचाने का प्रयास करता है । लेकिन रोगों से लड़ने की शक्ति किसी भी दवाई के अन्दर नहीं है । रोगों से लड़ने की ताकत अपने अंदर से जाग्रत करनी होगी और जब तक योग नहीं करते तब तक वो शक्ति क्षीण है । ज्यों ही व्यक्ति योग करता है अंदर की सुप्त शक्तियां जाग्रत होने लगती हैं । और कठिन से कठिन व्याधियों से मुक्ति पा लेता है ।ॐ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें