मंगलवार, 31 मई 2016

डटकर चल

कुछ करना है तो डटकर चल दुनियां से थोड़ा हटकर चल ।
लीक पर तो सभी चल लेते हैँ थोड़ा इतिहास को पलटकर चल ।
बिना काम के मुकाम कैसा बिना मेहनत के दाम कैसा
जब तक ना हासिल हो मंजिल तब तक राह में राही आराम कैसा ।
अर्जुन सा निशाना रख मन में ना कोई बहाना रख
लक्ष्य सामने है तेरे बस उसी पे अपना ठिकाना रख
सोच मत साकार कर अपने कर्मों से प्यार कर
मिलेगा तेरी मेहनत का फल ना किसी और का इंतजार कर ।
जो चले थे अकेले उनके पिछे आज मेले हैं
और जो करते रहे इंतजार किसी का उनके जीवन में अनेक झमेले हैं ।

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